Tuesday, September 11, 2012

Maine Shanti Nahin Jaani Hai

Came across this beautiful poem, for the first time, on Amitabh Bachhan's FB page.

मैंने शांति नहीं जानी है!
  - हरिवंश राय बच्चन 


मैंने शांति नहीं जानी है!

त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी,
त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी,
दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है!
मैंने शांति नहीं जानी है!

आयु बिता दी यत्नों में लग,
उसी जगह मैं, उसी जगह जग,
कभी-कभी सोचा करता अब, क्या मैंने की नादानी है?
मैंने शांति नहीं जानी है!

पर निराश होऊं किस कारण,
क्या पर्याप्त नहीं आश्वासन?
दुनिया से मानी, अपने से मैंने हार नहीं मानी है!
मैंने शांति नहीं जानी है!

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